सोमवार, 31 अगस्त 2015

सारा खेल दोस्ती का है

हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता---

अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी समशान है!

सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !! ....

सारे दोस्तो को सर्मप्रित...

शनिवार, 29 अगस्त 2015

इन्सानी कुत्ते

कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया
एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया
सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला
कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!
नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था
चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था
फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील
बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है
इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है
ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है
दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है
अब ना देखो किसी की बाट
आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट
जज की आँख हो गयी लाल
तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल
तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता
लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता
जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो
कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो
फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला
हाँ, मैंने वो लड़की खायी है
अपनी कुत्तानियत निभाई है
कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना
माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना
पर मैं दया-धर्म से दूर नही
खाई तो है, पर मेरा कसूर नही
मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी
जब मैं उस कन्या के गया पास
उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास
जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी
मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था
जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था
मैंने भू-भू करके उसकी माँ जगाई
पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई
चल मेरे साथ, उसे लेकर आ
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला
माँ सुनते ही रोने लगी
अपने दुख सुनाने लगी
बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को
तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को
मेरी सासू मारती है तानों की मार
मुझे ही पीटता है, मेरा भतार
बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार
लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही
कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही
वंश की तो तूने काट दी बेल
जा खत्म कर दे इसका खेल
माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी
इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी
कुत्ते का गला भर गया
लेकिन बयान वो पूरे बोल गया....!
बोला, मैं फिर उल्टा आ गया
दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया
वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी
मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी
कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर
फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर
मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी
यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी
हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम
परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम
जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो
और खुद को इंसान कहलवाते हो
मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान
जो समाज इससे नफरत करता है
कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है
वहां से तो इसका जाना अच्छा
इसका तो मर जान अच्छा
तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!!

शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

परिंदो को नही दी जाती  तालीम 

परिंदो को नही दी जाती 
तालीम उड़ानों  की,
वो  खुद  ही  तय  करते  है
मंजिल  आसमानों  की!

रखता  है   जो  हौसला
आसमान  को छूने  का!
उसको  नही  होती 
परवाह  गिर जाने  की!

दुनियाँ की हर चीज
ठोकर लगने से टूट जाया करती है
एक कामयाबी ही है
जो ठोकर खा के ही मिलती है!!

इस राखी पर भैया

इस राखी पर भैया ,मुझे बस
यही तोहफा देना तुम ,
रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस यही इक
वचन देना तुम ,
बेटी हूं मैं , शायद ससुराल से रोज़ न आ
पाऊंगी ,
जब भी पीहर आऊंगी , इक मेहमान बनकर
आऊंगी ,
पर वादा है, ससुराल में संस्कारों से,
पीहर की शोभा बढाऊंगी ,
तुम तो बेटे हो , इस बात को न
भुला देना तुम ,
रखोगे ख्याल माँ -पापा का बस यही वचन
देना तुम ,
मुझे नहीं चाहिये सोना-चांदी , न चाहिये
हीरे-मोती ,
मैं इन सब चीजों से कहां सुःख पाऊंगी
देखूंगी जब माँ-पापा को पीहर में खुश
तो ससुराल में चैन से मैं भी जी पाऊंगी
अनमोल हैं ये रिश्ते , इन्हें यूं ही न
गंवा देना तुम ,
रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस
यही वचन देना तुम ,
वो कभी तुम पर यां भाभी पर
गुस्सा हो जायेंगे ,
कभी चिड़चिड़ाहट में कुछ कह भी जायेंगे ,
न गुस्सा करना , न पलट के कुछ कहना तुम ,
उम्र का तकाजा है, यह
भाभी को भी समझा देना तुम ,
इस राखी पर भैया मुझे बस
यही तोहफा देना तुम ,
रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस
यही वचन देना तुम ।

पौरुष की नीलामी कर दें,आरक्षण की मांग करें

आओ मिलकर आग लगाएं,नित नित नूतन स्वांग करें,
पौरुष की नीलामी कर दें,आरक्षण की मांग करें,

पहले से हम बंटे हुए हैं,और अधिक बंट जाएँ हम,
100 करोड़ हिन्दू है,मिलकर इक दूजे को खाएं हम,

देश मरे भूखा चाहे पर अपना पेट भराओ जी,
शर्माओ मत,भारत माँ के बाल नोचने आओ जी,

तेरा हिस्सा मेरा हिस्सा,किस्सा बहुत पुराना है,
हिस्से की रस्साकसियों में भूल नही ये जाना है,

याद करो ज़मीन के हिस्सों पर जब हम टकराते थे,
गज़नी कासिम बाबर मौका पाते ही घुस आते थे

अब हम लड़ने आये हैं आरक्षण वाली रोटी पर,
जैसे कुत्ते झगड़ रहे हों कटी गाय की बोटी पर,

हमने कलम किताब लगन को दूर बहुत ही फेंका है,
नाकारों को खीर खिलाना संविधान का ठेका है,

मैं भी पिछड़ा,मैं भी पिछड़ा,कह कर बनो भिखारी जी,
ठाकुर पंडित बनिया सब के सब कर लो तैयारी जी,

जब पटेल के कुनबों की थाली खाली हो सकती है,
कई राजपूतों के घर भी कंगाली हो सकती है,

बनिए का बेटा रिक्शे की मज़दूरी कर सकता है,
और किसी वामन का बेटा भूखा भी मर सकता है,

आओ इन्ही बहानों को लेकर,सड़कों पर टूट पड़ो,
अपनी अपनी बिरादरी का झंडा लेकर छूट पड़ो,

शर्म करो,हिन्दू बनते हो,नस्लें तुम पर थूंकेंगी,
बंटे हुए हो जाति पंथ में,ये ज्वालायें फूकेंगी,

मैं पटेल हूँ मैं गुर्जर हूँ,लड़ते रहिये शानों से,
फिर से तुम जूते खाओगे गजनी की संतानो से,

ऐसे ही हिन्दू समाज के कतरे कतरे कर डालो,
संविधान को छलनी कर के,गोबर इसमें भर डालो,

राम राम करते इक दिन तुम अस्सलाम हो जाओगे,
बंटने पर ही अड़े रहे तो फिर गुलाम हो जाओगे

लफ्ज़ वही हैं

"लफ्ज़ वही हैं, माईने बदल गये हैं; 
किरदार वही, अफ़साने बदल गये हैं; 
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते; 
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं.
"

बुधवार, 26 अगस्त 2015

मौत को करीब से देखा....

सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....

कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....

खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...

कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....

पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..

दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....

.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....

और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....

हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा भगवान था...

चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....

जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....

तो हँस कर बोला....
"तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....
आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।"

रो दिया मै.... अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....

जिसको दो घडी जपा
वो बचाने आये है...
और जिन मे हर घडी रमा रहा
वो शमशान पहुचाने आये है....

तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....
कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....

ए ज़िन्दगी तेरा ये फ़लसफ़ा

" समझ ना आया ए ज़िन्दगी तेरा ये फ़लसफ़ा
एक तरफ़ कहते हैं सब्र का फल मीठा है
और
दूसरी तरफ़ कहते हैं वक्त किसी का इंतज़ार नहीं
करता".....

सोमवार, 24 अगस्त 2015

भाई तो आखिर भाई होता ह

भाई पर कविता
भाई तो आखिर भाई होता है
माँ बाप की आन होता है।
अपनी बहन की शान होता है।
अपनी बीबी की जान होता है।
अपने बच्चों की मुस्कान होता है।
भाई तो आखिर भाई होता है।
अपने माँ बाप का दुलार होता है।
अपनी बहन का प्यार होता है।
अपनी बीबी का इंतजार होता है।
अपने बच्चों का उपहार होता है।
भाई तो आखिर भाई होता है।
अपने माँ बाप की बीमारी में श्रवन कुमार होता है।
अपनी बहन की बिदाई में सुकुमार होता है।
अपनी शादी में बीबी के सपनो का राजकुमार होता है।
अपने बच्चों के जन्म पर जिम्मेदारी का अहसास होता है।
भाई तो आखिर भाई होता है।

रविवार, 23 अगस्त 2015

हर हर महादेव ओम नमः शिवाय

हाथ त्रिशूल, गले मुण्डमाल
भभूत लगा, शिव सुंदर सौहे
बाघ चर्म कर धारण तन पै
कैलाश पति मन गिरजा मौहै
सरदार सांदू
हर हर महादेव 
ओम नमः शिवाय

जिस राह पर.. हर बार मुझेे....

जिस राह पर.. हर बार मुझेे....
अपना कोई.. छलता रहा...

फिर भी...न जाने क्यूँ मैं..
उसी राह ही... चलता रहा;

सोचा बहुत.. इस बार..
रोशनी नहीं.. धुँआ दूँगा

लेकिन... दीपक हुँ  फ़ितरत से..
जलता रहा..जलता ही रहा...

दु:ख सू कीकर दाझगी

दु:ख सू कीकर दाझगी,अन्तै हो उदियास|
काया सारी कलपगी,ओ होवै आभास||

मन नै कीकर मारियौ,पिव नहीं है पास|
तन सू जद थू तेवड़ी,आई छोड अवास||

सोच रही खुद बैठ

सोच रही खुद बैठ झरोख करूँ किम नाश निज देह सखी री
रूप अनूप बड़ो अनमोल रहो किम कारण देऊ छोड़ सखी री
साजन केश संवार रह्यो उनकी अंगुली अभी याद सखी री
राख रही निज प्राण विलोकत आज नही अब तजु मैं सखी री

नवयुवती छज्जे पर बैठी

प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है, वह उदास है, उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है।

विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते

मैथिली शरण गुप्त
अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।

काका हाथरसी
गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पडना।

श्याम नारायण पांडे
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।

गोपाल दास नीरज
हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा ।
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा ।।
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से ।
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा ।।

सांपों के मुकद्दर मे

सांपों के मुकद्दर में
                वो ज़हर कहां,
        जो इंसान आजकल सिर्फ
           बातों में ही उगल रहा है !
        साँप तो कोने में बैठा
                    हँस रहा है !
          क्योकि
           इन्सान ही आजकल
              इन्सान को डंस रहा है।।           
नागपंचमी की शुभकामनाये

खुश्बू का पैगाम

फूल इसलिए अच्छे,
           की खुश्बू का पैगाम देते है।
कांटे इसलिए अच्छे,
             की दामन थाम लेते है।
दोस्त इसलिए अच्छे, 
           कि वो मुझ पर जान देते है।
और दुश्मनों को,
                      कैसे ख़राब कह दूँ।
वो ही तो है,
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है।
       शुभ प्रभात

लड़की का शव

पहला दृश्य --
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था !
तभी वहाँ से
एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था तो तभी
कवि ने उस शव से पूछा ----

कौन हो तुम ओ सुकुमारी,
बह रही नदियां के जल में ?

कोई तो होगा तेरा अपना,
मानव निर्मित इस भू-तल मे !

किस घर की तुम बेटी हो,
किस क्यारी की कली हो तुम ?

किसने तुमको छला है बोलो,
क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?

किसके नाम की मेंहदी बोलो,
हांथो पर रची है तेरे ?

बोलो किसके नाम की बिंदिया,
मांथे पर लगी है तेरे ?

लगती हो तुम राजकुमारी,
या देव लोक से आई हो ?

उपमा रहित ये रूप तुम्हारा,
ये रूप कहाँ से लायी हो?
..........

दूसरा दृश्य----
कवि की बाते सुनकर लड़की की आत्मा बोलती
है.....

कवी राज मुझ को क्षमा करो,
गरीब पिता की बेटी हुँ !

इसलिये मृत मीन की भांती,
जल धारा पर लेटी हुँ !

रूप रंग और सुन्दरता ही,
मेरी पहचान बताते है !

कंगन,चूड़ी,बिंदी,मेंहदी,
सुहागन मुझे बनाते है !

पित के सुख को सुख समझा,
पित के दुख में दुखी थी मैं !

जीवन के इस तन्हा पथ पर,
पति के संग चली थी मैं !

पति को मेने दीपक समझा,
उसकी लौ में जली थी मैं !

माता-पिता का साथ छोड
उसके रंग में ढली थी मैं !

पर वो निकला सौदागर ,
लगा दिया मेरा भी मोल !

दौलत और दहेज़ की खातिर
पिला दिया जल में विष घोल !

दुनिया रुपी इस उपवन में,
छोटी सी एक कली थी मैं !

जिस को माली समझा ,
उसी के द्वारा छली थी मैं !

इश्वर से अब न्याय मांगने,
शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं !

दहेज़ की लोभी इस संसार मैं,
दहेज़ की भेंट छड़ी हूँ में !

दहेज़ की भेंट चडी हूँ मैं !!

.....................

{[<बेटियां शीतल हवा होती है।। इन्हें बचा कर रखे>]}

अनुरोध है इस कविता को शेयर जरुर करे !!

पत्नी और पति

पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
एक को है किसी ने
दूजे को किसी ने पाला
फिर भी दोनों संग है रहते
संग हँसते हैं संग रोते हैं
दुनिया में यह दस्तूर
है किस ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
इक दूजे को प्यार है करते
कभी कभी तकरार भी करते
छोड़ जाने की बात भी करते
बच्चों की दुहाई देते
पर न निकले पति ही घर से
न पत्नी को किसी ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
रिश्ता है यह सब से ऊपर
सब रिश्ते में यह है सुपर
पति बिन पत्नी न रहती
उसकी न जुदाई सहती
पत्नी बिन भी पति न रहता
सुख दुःख उस के संग है सहता
रिश्ता उस का चले उम्र भर
जिसने इसे संभाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला

खूबसूरत सा एक पल

खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता है,
जाने कब कौन ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है |

कुछ  लोग ज़िंदगी में मिलते हैं ऐसे,
जिनसे कभी ना टूटने वाला रिश्ता बन जाता है ||
क्यूँ  मुश्किलों  में  साथ  देते  हैं  दोस्त
क्यूँ  गम  को  बाँट  लेते  हैं  दोस्त
न  रिश्ता  खून  का  न  रिवाज  से  बंधा  है
फिर  भी  ज़िन्दगी  भर  साथ  देते  हैं  दोस्त "

दिल से...
          दोस्तों के लिए...

शनिवार, 22 अगस्त 2015

ख्वाहिश

"ख्वाहिश ये बेशक नही
          की
'तारीफ' हर कोई करे...!

          मगर
'कोशिश' ये जरूर है
  की कोई बुरा ना कहे."           

मानसिक अत्याचार

दो बुज़ुर्ग अदालत में तलाक के लिए गए।

जज ने पूछा, "इस उम्र में तलाक क्यों लेना चाहती हैं आप ?"

महिला बोली, "जज साहब! मेरे पति मुझ पर मानसिक अत्याचार कर रहे हैं।"

जज ने पूछा, "वो कैसे?"

महिला ने कहा, "इनकी जब मर्ज़ी होती है, मुझे खरी-खोटी सुना देते हैं... और जब मैं बोलना शुरू करती हूँ, अपने कान की machine निकाल देते हैं।"

चेहरे गुलाब नहीं होते

जाने क्यूँ अब शर्म, से चेहरे गुलाब नहीं होते।
जाने क्यूँ अब, मस्त मौला मिजाज नहीं होते।

पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूँ अब चेहरे, खुली किताब नहीं होते।

सुना है बिन कह, दिल की बात समझ लेते थे।
गले लगते ही, दोस्त हालात समझ लेते थे।

जब ना फेसबुक थी, ना व्हाट्स एप था, ना मोबाइल था
एक चिट्ठी से ही, दिलों के जज्बात समझ लेते थे।

सोचता हूँ, हम कहाँ से कहाँ आ गये।
प्रेक्टिकली सोचते सोचते, भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से, समस्या का समाधान कहाँ पूछता है
अब बेटा बाप से, उलझनों का निदान कहां पूछता है

बेटी नहीं पूछती, माँ से गृहस्थी के सलीके।
अब कौन गुरु के चरणों में, बैठकर ज्ञान की परिभाषा सीखे।

परियों की बातें, अब किसे भाती हैं
अपनों की याद, अब किसे रुलाती है

अब कौन गरीब को, सखा बताता है
अब कहाँ कृष्ण, सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी में हम प्रेक्टिकल हो गये हैं
रोबोट बन गये हैं सब, इंसान जाने कहां खो गये हैं .......!

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

     बड़ा महत्व है

           बड़ा महत्व है

 

ससुराल में साली का…
बाग़ में माली का…
होंठो में लाली का…
पुलिस में गाली का…
मकान में नाली का…
कान में बाली का…
पूजा में थाली का…
खुशी में ताली का---बड़ा महत्व है

 

फलों में आम का…
भगवान में राम का…
मयखाने में जाम का…
फैक्ट्री में काम का…
सुर्ख़ियों में नाम का…
बाज़ार में दाम का…
मोहब्बत में शाम का---बड़ा महत्व है

 

व्यापार में घाटा का…
लड़ाई में चांटा का…
रईसों में टाटा का…
जूतों में बाटा का…
रसोई में आटा का---बड़ा महत्व है

 

फिल्मों में गाने का…
झगड़े में थाने का…
प्यार में पाने का…
अंधों में काने का…
परिंदों में दाने का---बड़ा महत्व है

 

ज़िंदगी में मोहब्बत का…
परिवार में इज्ज़त का…
तरक्की में किस्मत का…
दीवानों में हसरत का---बड़ा महत्व है

 

पंछियों में बसेरे का…
दुनिया में सवेरे का…
डगर में उजेरे का…
शादी में फेरे का---बड़ा महत्व है

 

खेलों में क्रिकेट का…
विमानों में जेट का…
शरीर में पेट का…
दूरसंचार में नेट का---बड़ा महत्व है

 

मौजों में किनारों का…
गुर्वतों में सहारों का…
दुनिया में नज़ारों का…
प्यार में इशारों का---बड़ा महत्व है

 

खेत में फसल का…
तालाब में कमल का…
उधार में असल का…
परीक्षा में नकल का---बड़ा महत्व है

 

ससुराल में जमाई का…
परदेश में कमाई का…
जाड़े में रजाई का…
दूध में मलाई का---बड़ा महत्व है

 

बंदूक में गोली का…
पूजा में रोली का…
समाज में बोली का…
त्योहारों में होली का…
श्रृंगार में चोली का---बड़ा महत्व है

 

बारात में दूल्हे का…
रसोई में चूल्हे का---बड़ा महत्व है

 

सब्जियों में आलू का…
बिहार में लालू का…
मशाले में बालू का…
जंगल में भालू का…
बोलने में तालू का---बड़ा महत्व है

 

मौसम में सावन का…
घर में आँगन का…
दुआ में दामन का…
लंका में रावन का---बड़ा महत्व है

 

चमन में बहार का…
डोली में कहार का…
खाने में अचार का…
मकान में दीवार का---बड़ा महत्व है

 

सलाद में मूली का…
फूलों में जूली का…
सज़ा में सूली का…
स्टेशन में कूली का---बड़ा महत्व है

 

पकवानों में पूरी का…
रिश्तों में दूरी का…
आँखों में भूरी का…
रसोई में छूरी का---बड़ा महत्व है

 

            Last One

खेत में सांप का…
सिलाई में नाप का…
खानदान में बाप का…
और वॉट्सअप पर आप का---बड़ा
महत्व है

 

  
❤ ❤❤
  It's new, forward to all

     बड़ा महत्व है

           बड़ा महत्व है

 

ससुराल में साली का…
बाग़ में माली का…
होंठो में लाली का…
पुलिस में गाली का…
मकान में नाली का…
कान में बाली का…
पूजा में थाली का…
खुशी में ताली का---बड़ा महत्व है

 

फलों में आम का…
भगवान में राम का…
मयखाने में जाम का…
फैक्ट्री में काम का…
सुर्ख़ियों में नाम का…
बाज़ार में दाम का…
मोहब्बत में शाम का---बड़ा महत्व है

 

व्यापार में घाटा का…
लड़ाई में चांटा का…
रईसों में टाटा का…
जूतों में बाटा का…
रसोई में आटा का---बड़ा महत्व है

 

फिल्मों में गाने का…
झगड़े में थाने का…
प्यार में पाने का…
अंधों में काने का…
परिंदों में दाने का---बड़ा महत्व है

 

ज़िंदगी में मोहब्बत का…
परिवार में इज्ज़त का…
तरक्की में किस्मत का…
दीवानों में हसरत का---बड़ा महत्व है

 

पंछियों में बसेरे का…
दुनिया में सवेरे का…
डगर में उजेरे का…
शादी में फेरे का---बड़ा महत्व है

 

खेलों में क्रिकेट का…
विमानों में जेट का…
शरीर में पेट का…
दूरसंचार में नेट का---बड़ा महत्व है

 

मौजों में किनारों का…
गुर्वतों में सहारों का…
दुनिया में नज़ारों का…
प्यार में इशारों का---बड़ा महत्व है

 

खेत में फसल का…
तालाब में कमल का…
उधार में असल का…
परीक्षा में नकल का---बड़ा महत्व है

 

ससुराल में जमाई का…
परदेश में कमाई का…
जाड़े में रजाई का…
दूध में मलाई का---बड़ा महत्व है

 

बंदूक में गोली का…
पूजा में रोली का…
समाज में बोली का…
त्योहारों में होली का…
श्रृंगार में चोली का---बड़ा महत्व है

 

बारात में दूल्हे का…
रसोई में चूल्हे का---बड़ा महत्व है

 

सब्जियों में आलू का…
बिहार में लालू का…
मशाले में बालू का…
जंगल में भालू का…
बोलने में तालू का---बड़ा महत्व है

 

मौसम में सावन का…
घर में आँगन का…
दुआ में दामन का…
लंका में रावन का---बड़ा महत्व है

 

चमन में बहार का…
डोली में कहार का…
खाने में अचार का…
मकान में दीवार का---बड़ा महत्व है

 

सलाद में मूली का…
फूलों में जूली का…
सज़ा में सूली का…
स्टेशन में कूली का---बड़ा महत्व है

 

पकवानों में पूरी का…
रिश्तों में दूरी का…
आँखों में भूरी का…
रसोई में छूरी का---बड़ा महत्व है

 

            Last One

खेत में सांप का…
सिलाई में नाप का…
खानदान में बाप का…
और वॉट्सअप पर आप का---बड़ा
महत्व है

 

  
❤ ❤❤
  It's new, forward to all

वर्किंग वुमन हू

वर्किंग वुमन हूँ
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वर्किंग वुमन हूँ
अपनी व्यथा को
सिर्फ मैं ही समझती हूँ
माँ पत्नी बहु भाभी का
धर्म कैसे निभाती हूँ
केवल मैं ही जानती हूँ
ऑफिस में
सब उम्मीद करते हैं
मुस्तैदी से काम करती रहूँ
घर में सब चाहते हैं
हर काम मैं ही करूँ
किसी की मदद
या तो मिलती नहीं
मिलती तो भी 
आधी अधूरी मिलती 
कैसी भी हारी बीमारी हो
रात में देर से सोऊँ
जल्दी सोऊँ
सुबह जल्दी ही उठती हूँ
आँख खुले नहीं चाहे
तो भी सवेरे से
मशीन सी 
काम में जुटती हूँ
रिश्तेदारी भी
मुझे ही निभानी होती है
अफसर की डांट भी
मुझे ही खानी पड़ती है
घर से ऑफिस तक
ऑफिस से 
घर तक की यात्रा
हर मौसम में करनी 
पड़ती है
पति के साथ कंधे से 
कंधा मिला कर चलती हूँ
फिर भी आज
सब्जी अच्छी नहीं बनी
कल रोटी कड़क थी
आज फिर देर से आयी
आज जल्दी क्यों जाना है
कभी पति कभी अफसर के
ताने भी मैं ही सुनती हूँ
काम अच्छा करूँ तो
पुरुष साथियों की इर्ष्या
अच्छा नहीं करूँ तो
मज़ाक भी मैं ही सहती हूँ
मैं एक वर्किंग वुमन हूँ
अपनी व्यथा को
सिर्फ मैं समझती हूँ
कई धर्म एक साथ 
कैसे निभाती हूँ
केवल मैं ही जानती हूँ ।