सांपों के मुकद्दर में
वो ज़हर कहां,
जो इंसान आजकल सिर्फ
बातों में ही उगल रहा है !
साँप तो कोने में बैठा
हँस रहा है !
क्योकि
इन्सान ही आजकल
इन्सान को डंस रहा है।।
नागपंचमी की शुभकामनाये
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