रविवार, 23 अगस्त 2015

नवयुवती छज्जे पर बैठी

प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है, वह उदास है, उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है।

विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते

मैथिली शरण गुप्त
अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।

काका हाथरसी
गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पडना।

श्याम नारायण पांडे
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।

गोपाल दास नीरज
हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा ।
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा ।।
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से ।
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा ।।

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